शनिवार, 24 दिसंबर 2016

दंगल : एक स्‍वप्‍नद्रष्‍टा की जिन्‍दगी को घटित होते देखना........


दंगल फिल्म को लेकर सिनेमाप्रेमियों में बहुत जिज्ञासा रही है। ट्विटर में बहुत सारे कलाकार और सिनेमा से जुडे़ लोगों ने कल फिल्म प्रदर्शित होने के बाद अपनी प्रतिक्रियाओं को लगातार जारी रखा है। जाहिर है, एक स्वर में तारीफ है। तारीख सच्ची है। तारीफ के अलावा कोई चारा भी नहीं क्योंकि देश में फिल्म को बड़े पैमाने पर स्वीकार कर लिया गया है। फिल्म विषयवस्तु और उसके पीछे के सार्थक उद्देश्यों के कारण आरम्भ से ही चर्चा का विषय रही है। सत्यमेव जयते प्रस्तुत करते हुए आमिर खान न केवल सिनेमा बल्कि अपनी खुद की भूमिका के प्रति और ज्यादा गम्भीर हुए हैं। दंगल उसी का एक प्रशंसनीय रचनात्मक परिणाम है।

कहानी यही है कि पहलवानी छोड़े, एक सरकारी नौकरी कर रहे नेशनल चेम्पियन का स्वप्न विश्व स्तर पर पहलवानी के लिए मैडल लाना था जो अधूरा रह गया। वह स्वप्न अब होने वाले बेटे पर अवलम्बित है। चार बेटियों का पिता बनने के बाद अपने स्वप्न के प्रति गुमसुम पिता तब जाग्रत होता है जब अपनी दो बड़ी बेटियों के द्वारा गाँव के दो लुच्चों की पिटायी करने की शिकायत घर तक आती है। यहीं से उसका स्वप्न फिर हरा हो जाता है। दंगल फिल्म इसी स्वप्न को साकार करने आगे चलती है। फिर सिनेमा है तो ड्रामा है, संघष है, अभाव हैं तो रास्ते हैं, हताशा है, आशा है और बहुत सारे द्वन्द्वों के बाद जीत भी जिसका अर्थ है स्वप्न का साकार होना।

दंगल जैसी फिल्म का बड़ा सीधा सा सन्देश यही है कि असाधारण काम और उपलब्धियाँ भी इस धरा के मनुष्य से सम्भव होती हैं। कठिन अभ्यास, आराम का त्याग और लक्ष्य के प्रति सबकुछ छोड़कर जुटना उसके लिए जरूरी तत्व हैं। इन सबसे मनुष्य की देह से लेकर दिमाग तक सब खुल जाता है। मिल्खा, सुल्तान और दंगल फिल्में क्रमशः हम सबके बीच अनेक विरोधाभासों, झंझावातों और मुश्किलों के बाद सफलता की हवा पसीने से भीगे माथे पर उड़ाती हैं। दंगल उल्लेख में आयी दो फिल्मों से अधिक बेहतर इसलिए है क्योंकि इसमें वो महानायक है जो लक्ष्य और चुनौतियों का सीमा में बने रहने वाला ऐसा प्रतीक बनकर फ्रेम में दिखायी देता है जो खुद कुछ नहीं कर रहा है। आमिर खान पूरी फिल्म में जरा से भी हीरो नहीं हैं। सब काम लड़कियाँ कर रही हैं या परिस्थितियाँ, वह केवल एक बड़े स्वप्न के केन्द्र में है, यह एक महानायक की बड़ी दृढ़ता, अपनी छबि के साथ बड़े त्याग और जोखिम और इन सबके साथ अपनी दृष्टि का लोहा मनवा लेने का कौशल है।

फिल्म के कलाकार एक कैप्टनशिप के अनुसरण में हैं सो सब अनुशासित और परिश्रम करके दिखाते हैं। सहायक कलाकारों का गढ़न फिल्म के तनाव को सहज किए रहता है, भतीजा अपारशक्ति खुराना, आयुष्मान के भाई की कमाल संगत है, वे फिल्म के नैरेटर भी हैं। आमिर खान तो खैर पूरी फिल्म में, पूरी देह में एक द्वन्द्व लेकर चलते हैं। उनको उस रूप में देखकर बहुत अच्छा लगता है। अधूरे लक्ष्य और उससे जुड़े स्वप्न में खोये हुए कहें या जीते हुए, वे खाना खाते हुए, रात को बिस्तर पर सोते हुए, उठकर बेचैनी में बैठ जाते हुए बेहद सच्चे नजर आते हैं। 

फिल्‍म के क्‍लायमेक्‍स में जब बेटी का कोच अपने श्रेय की क्षुद्रता में पिता को स्‍टेडियम के एक कमरे में बन्‍द करवा देता है और लड़ती हुई बेटी दर्शकों में अपने पिता की जगह खाली देखकर परेशान और हतोत्‍साहित होती है तब पूर्वदीप्ति में बेटी काे पिता की बचपन में उस वक्‍त दी शिक्षा याद आती है जब एक सुबह वह दोनों बेटियों को गाँव की नदी में छलांग लगवाता है और पानी के भीतर डूब रही बेटी तक पुल पर से चिल्‍लाकर अपनी आवाज पहुँचाता है कि मैं हर वक्‍त तेरे साथ या तेरे सामने नहीं रहूँगा। तुझे जीत अपने हौसले और हिम्‍मत से ही मिलेगी। इस स्‍मरण के साथ वह प्रतिस्‍पर्धी से भिड़ती है और जीतती है। फिल्‍म का यह सबसे सशक्‍त दृश्‍य है। 

नितेश तिवारी, इटारसी के रहने वाले हैं, गर्व है कि मध्यप्रदेश मूल के फिल्मकार ने इतनी अच्छी फिल्म बनायी है। पटकथा के अनुरूप एक-एक शॉट बहुत सधा हुआ और प्रभाव और तकनीकी दृष्टि से बहुत अप टू द मार्क है। दोनों बेटियों का पिता से संवाद दिलचस्प लगता है, वहीं तीसरी और चौथी बेटियाँ बीच में एक ओर साक्षी और एक ओर आमिर लेटे हुए हैं, सोती बच्चियों के साथ यह दृश्य कमाल का है, अनुभव करो तो लगता है कि बच्चियों के रूप में सोये स्वप्न बस जागने को हैं.................

गाने, एक-एक जैसे लोकेशन पर बैठकर लिखा हुआ, संगीत कमाल का, अमिताभ भट्टाचार्य और प्रीतम ने गढ़ दिया सचमुच और दलेर का टाइटिल ट्रेक - माँ के पेट से मरघट तक तेरी कहानी पग पग प्यारे दंगल दंगल और ऐसे ही एक दो गाने सूफियाना और शाश्वत रचनाएँ हैं। निहायत व्यक्तिगत रूप से लगता है कि ऐसी फिल्म को बिना आवेदन की प्रतीक्षा किए राज्य करमुक्त कर सकते हैं, खासतौर पर बेटियों के लिए अभियान और योजनाओं में शीर्ष पर आये राज्य............#dangal #amirkhan #niteshtiwari #niteshtivari #kiranrao #filmreview

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