शनिवार, 31 दिसंबर 2016

धैर्य-अधैर्य की परीक्षाएँ और आता हुआ 2017

उत्सवधर्मिता हमारा स्वभाव है और उससे चार कदम आगे बढ़कर जश्न हमारा उन्माद। पूर्णता के निकट पहुँचते हुए हमारा धीरज छूटने लगता है, शेष के प्रति हम लगभग आक्रामक हो उठते हैं। कई बार हमारे जीवन में वही शेष बहुत कठिन और जोखिम भरा होता दिखायी देता है, कई बार हो भी जाता है। अनुभवी, सदाशयी, गुणी और जानकार लोग इसीलिए सब्र या धीरज की बात कहते हैं। आज 2016 का आखिरी माह और आखिरी तारीख, सभी के जैसे धैर्य की परीक्षा लेने जा रही है। जो सुबह जागा है, उसे रात की चिन्ता है, जो दोपहर में है वह शाम को फलांगना चाहता है और रात को जीना चाहता है। कहने का आशय यह कि हम तैयार हैं.............
न जाने कितने वाहनों के टैंक फुल हो गये होंगे। कितने ही लोग दो-चार दिन पहले से कहीं-कहीं अपनी पसन्द की संगत में आज दिन तक आ गये होंगे, धीरे से उन सभी की जिन्दगी में कल भी आ ही जायेगा लेकिन दोहराता हूँ कि उन सबकी अपनी तैयारी होगी। विश्व में बड़े से बड़े होटल में आरक्षण हो चुका होगा, बैठने और नियंत्रण में बने रहने से लेकर नियंत्रण छूटने तक सब देख लिया जायेगानुमा। रात को बहुधा जनसंख्या और समाज जब सो रहा होगा तब रह-रहकर तेज रफ्तार की गाडि़यों की आवाज सुनायी देगी, पुलिस का सायरन और एम्बुमलन्स भी। आकाश रोशनी से पट पड़ेगा। आत्म प्रचार का एैब (एप-वाट्सअप) सन्देशों से भरता चला जायेगा, मेसेजेस भी। पढि़ए, न पढि़ए, खाली करते रहने की जद्दोजहद से जूझिए।
यह वैभवीयता महानगरों और रसूखदारों के उस संसार का एक भाग है जहाँ रुपए और आतिशबाजी एक बराबर है। ऐसे ही क्षण हमें उन सबकी कल्पना होती रहे, जिन्होंने इसी साल कोई अपना खोया है, गम्भीर बीमारी से जूझना जारी रखा है, अनेक मुश्किलों का सामना किया है, लक्ष्य अर्जित किए हैं, धोखे से गिरे हैं, कठिनाई से उठे हैं और अपनी धारा पर आये हैं। वाट्सअप के दौर में हम अपना बताने में इतना हठी हैं कि अपने ही किसी के हाल से अवगत होना लगभग भूल गये हैं। थोड़ी बहुत स्पेस संगियों के लिए भी जरूरी है। हम किस बड़े के बगल में खड़े थे, वह बगल वाला हमें अगले ही क्षण भूल चुका है, पता होता ही होगा हमको। कहाँ हो आये, क्या कर आये, ठीक है, समय रहते सब जान लेंगे।
हमारी आबोहवा हमें हर क्षण सतर्क रहने के लिए सचेत करती है। खानपान, रहन-सहन, परिवेश, सड़क पर निर्मम होकर तेज रफ्तार से जाती गाडि़याँ, लो-फ्लोर बसें, पटरी छोड़कर खेत में घुस जाने वाली रेलगाडि़याँ, चिकित्सा, आदतें, स्वभाव सब जगह वही जोखिम हैं और अपराधियों से हैं। बचपन में कई बार अपने आसपास अचानक हो जाती किसी की मृत्यु पर माँ बड़े धीरे से बतलाती थी, रात को बेतहाशा शराब पीकर लौटे थे, सोते ही रह गये या दोस्तों में जमकर पी या पिलायी, आग्रह और हठ करके ज्यादा हो गयी, मस्तिष्क या हृदय बैठ गया या फिर होश में नहीं थे, ऐसी गाड़ी चला रहे थे कि अंधेरे में कुछ नहीं दिखा, सामने से आती गाड़ी न दिखी और यह भयानक घट गया। ऐसे ही देखते देखते दृश्य बदल जाने की स्थितियों को निर्मित करने से बच सकें तो बचें। मन, मस्तिष्क, देह और चेष्टाओं से बिना अनियंत्रित, अराजक, मादक या विवश हुए भी नया साल आ जायेगा। अच्छी सुबह होगी, पंछियों का अलार्म होगा, वे आकाश में भोर में उड़ेंगे भी अपने पुरुषार्थ के लिए, उनके साथ जागने और उन्हीं के साथ भोर का हिस्सा बनने के अलग सुख हैं।
मैं मध्यप्रदेश कैडर की वरिष्ठ आय एस अधिकारी श्रीमती स्नेहलता श्रीवास्तव जो कि वर्तमान में भारत सरकार में सचिव हैं, कुछ वर्ष पहले वे संस्कृति विभाग की अविभावक थीं, उनका हम सबकी एक बड़ी बैठक में किया गया कथन भूल नहीं पाता जिसमें उन्हों ने सभी से कहा था कि आप लोग कितना काम करते हैं, वर्षों से आपके अनुभवों को समृद्ध होते देखा है, देश-दुनिया के कलाकारों के साथ जुड़ने के इस रचनात्मक काम को आप बहुत सारा समय देकर अंजाम देते हैं। मेरा आप सभी से यह अनुरोध है कि अपनी सेहत, तबियत का ख्याल रखा करें, अपने परिवार का ख्याल रखा करें, जो स्वस्थ हैं, वे सदैव स्वस्थ रहें यह कामना है लेकिन जो दवाइयाँ खाते हैं, वे समय पर दवाइयाँ जरूर खाते रहा करें, अपने मन को ऐसे ही सहज बनाये रखें क्योंकि आपके परिवार को आपकी बहुत जरूरत है..................इतना कहते हुए वे बिल्कुल माँ की तरह भावुक हो गयीं..........मैं उनकी इस बात को आज तक नहीं भूल पाया और इतनी आत्मीयता के साथ जो जगह उन्होंने मन में बनायी है, परमस्थायी है। ये बातें, इस 2016-2017 की मन:स्थितियों के आसपास भी उतनी मौजूँ हैं मित्रों.............#happynewyear #snehlatashrivastava #lifestyle #mordanity #thinking

2 टिप्‍पणियां:

  1. Bahut hi sunder likha hai..Apka lekhan reality ke sath apna sa lagta hai..happy New Year..@sumandoonga

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    1. आपका आभारी हॅूं सुमन जी, आपको अच्‍छा लगा। कुछ मनोरंजन, कुछ फिलॉसफी और कुछ संस्‍कृति इसी प्रकार की कोशिशें हैं। कभी कभार आते रहिएगा ब्‍लॉग पर।

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