शुक्रवार, 27 मई 2016

आगे रास्ता बन्द है..............


कई बार ऐसा होता है, उस रास्ते पर हम चलते चले जाते हैं जो आगे जाकर बन्द हो जाता है। बहुधा पता नहीं होता इसलिए ही ऐसा होता है। कितने ही लोग ऐसा पथ चुनते हैं जो आगे चलकर एक जगह पर अनेक रुकावटों में बदल जायेगा। सड़क हमें वहाँ ठहरा देगी। हम भी ठिठक कर रह जायेंगे क्योंकि इस रास्ते पर हमारा पहले चलकर कभी आना नहीं हुआ। आसपास के अनेक मार्गों को देख लेने के बाद भी हमने उस रास्ते से आगे जाना तय किया जो कुछ समय बाद पूरा हो जाने वाला है।

जब हम जा रहे थे तब उसी रास्ते से हमें लौटते हुए लोग भी मिले जिनको हम पहचानते नहीं थे। जिस तरह हमने, उसी तरह उन्होंने भी एक निगाह तो कम से कम देखा ही लेकिन वे हमको रास्ते के अधूरे होने के बारे में बता नहीं पाये। हो सकता है उनका यह सोचना रहा हो कि इनकी जगह थोड़ा पहले हो सकती है और अगर ऐसा हुआ तो इनको बन्द रास्ते का मुँह देखना नहीं पड़ेगा। हम लेकिन यह सोच सकते हैं कि ऐसा मार्ग जो आगे चलकर बाधित हो गया है, उस मार्ग से लौटते हुए ये हमें सचेत कर सकते थे। उस अन्तिम छोर पर हम भी औरों की तरह जाकर ठहर ही गये।

वैसे कितना भी दूर चले जाते यदि रास्ता बाधित न होता लेकिन एक व्यवधान देह और मन से अचानक ही बहुत कुछ झटकार कर छुड़ा लेता है। इसी बीच हमारी निगाह एक-दो और ऐसे लोगों पर जाती है जो हमसे पहले यहाँ तक आकर हमारी ही तरह अपने आपको खासा थका हुआ मानकर खड़े-खड़े सुस्ता से रहे हैं। अपने रुमाल ही को पंखा बनाकर झलते हुए वो लगभग पहचान वाले हो गये। कहने लगे, अगर रास्ता बन्द है तो पहले ही लिखा होना चाहिए। सब उनकी हाँ में हाँ मिलाते हैं। मुझे लगता है कि सही कह रहे हैं। इस रास्ते पर न जाइये, यह पहले ही लिख दिया जाना चाहिए।

उस सिरे के एकान्त में तीन-चार लोग इसी बन्द रास्ते से अनेक बन्द रास्तों की बात करने लगे, बतलाने लगे कि कहाँ-कहाँ रास्ते बन्द हो चुके हैं, स्वस्थ बने रहने के, दो रोटी चैन से खा सकने के, सड़क पर सुरक्षित चल पाने के, रोजी-रोजगार के, महँगाई से बचने के, आगे बढ़ने के, प्रेम करने के, इस भीषण गरमी से निजात पाने के................इसके आगे भी...........

यही चार-पाँच लोग फिर आपस में एक-दूसरे से इसी तरह की बातचीत करते हुए वापस लौटे और उस जगह पर आकर फिर खड़े हो गये जिस जगह से आगे चलकर यह बन्द हो जाने वाला रास्ता शुरू हो रहा था। सबने मिलकर आपस में बात की और वहीं आसपास जमीन पर पड़े कागजों, लकड़ी की तख्तियों और बाँस को जुटाकर सबके लिए एक सूचना लिखकर लगायी - आगे रास्ता बन्द है..............

1 टिप्पणी:

  1. BAND RASTO KI NIYATI JAAN KAR BHI CHALTE HAI KUCH LOG JINHE LOUTNE ME MILTE HAI AISE SAFARYAAR JINKO PATA HAI BAND RASTO KE PICHE KABHI KAHA TAK KHULE THE VO RASTE . VAJUHAT JANANE KE ZAZBE SE SAFAR PAR EK UMID SATH TAB CHALTI HAI ......

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