सिंहस्थ महाकुम्भ में अपने ही रुझानों और कर्तव्यों के साथ एक अच्छा समय व्यतीत करने का अवसर आयेगा, इसकी कल्पना नहीं थी। महाकाल, हरसिद्धी, सान्दीपनि आश्रम और माँ शिप्रा के आशीष और सान्निध्य का ही यह प्रभाव है कि अपने जीवन में पहली बार भारत की अस्मिता के अर्थ, भक्ति परम्परा, आस्था और श्रद्धा के अनेक आयाम, अनेक विस्तारों को देखने का पुण्य है। उज्जैन नगरी में दोपहर जितनी तपती है, सांझ और रात्रि उतनी ही सुरम्य, ठण्डी और अनुभूतिजन्य बयार से भरी हो जाती है। यहाँ आकाश की छत्रछाया में ऐसे अवसरों का सौभागी होना ऐसे आभासों को दर्शन में बदल देता है जो कल्पनातीत है। शहर भर में ध्वनि और स्वर के साथ विद्या और ज्ञान का प्रवाह हो रहा है। देश भर के कलाकार, साहित्यकार, संस्कृतिकर्मी आकर आचमन कर रहे हैं और पुण्यसुख के साथ अपने घर लौट रहे हैं। उज्जैन शहर के आसपास मालवा से लेकर निमाड़, पास में राजस्थान और अन्य अनेक स्थानों से प्रतिदिन लाखों लोग आ रहे हैं, जा रहे हैं। जो जहाँ थक जाता है, वहीं बैठ जाता है, जिसे जहाँ विश्राम की इच्छा हो, वहीं उसे गहरी नींद आ जाती है। पिता और माता के कंधों पर नन्हें बच्चे हैं, पितृपुरुषों और आदरणीयाओं के सिर पर उनका कम से कम पाँच-सात किलो का सामान है, रेला का रेला चला जा रहा है, सड़कों पर जैसे देश चलायमान हो गया है। गति ऐसी की बहाव को भी चुनौती दे दे। सबकी एक ही आकांक्षा है, शिप्रा में स्नान और प्रभु महाकाल का दर्शन। मन-जीवन को तृप्त करने की आकांक्षा। शिप्रा तट पर पूरी रात उजाला रहता है, प्रकाश रहता है, लोग रहते हैं, देश रहता है। लोग स्नान करते हैं, सिर में माँ शिप्रा के जल की बून्दों से अपने जीवन को धन्य करते हैं। घाट पर घण्टों व्यतीत करते हैं, चलते हुए, टहलते हुए, बैठे हुए। माँ का सान्निध्य ऐसा है कि पास से हटने का मन ही नहीं करता। कितने चेहरे, कितने परिधान, कितने भाव, कितनी चेतना, कितना आत्मविश्वास, कितना जीवट ओह.......हो..............हर दर्शन, हर दृश्य दरअसल इस जीवन में अपने होने के अर्थ को सार्थक करता हुआ, अपने पुरुषार्थ का आदर्श प्रकट करता हुआ, अपने अनुराग में भक्ति को उच्च शिखर पर स्थापित करता हुआ.....................इस तीर्थ में, इस महापर्व में हम मालवा की भूमि में अपने आपमें, उस आध्यात्म बिन्दु में स्वयं को लीन किए हुए लोग दीख रहे हैं। सब कुछ अनूठा है, विलक्षण है, कल्पनातीत है.......................
Achchha chitaran sir enjoy job with lekhani
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