गुरुवार, 9 नवंबर 2017

समय और स्‍वप्‍न से जूझते चरित्र

सीक्रेट सुपर स्‍टार की इन्सिया या तारे जमी पर का ईशान



कुछ समय की फिल्मों में से मन को गहरे छू गयी फिल्म सीक्रेट सुपर स्टार पर यह मेरा तीसरा नोट है। मित्रों का आभारी हूँ कि उनको, इस फिल्म को रेखांकित या विश्लेषित करना मेरा, अच्छा लगा। इतने समर्थन किसी अखबार में न छपने के बाद मिले हैं जो बहुत प्रोत्साहित करते हैं। आपका लिखा यदि दो हजार मित्रों तक पढ़ लिया जाये, तो इससे अधिक सार्थकता और क्या हो सकती है.........

सीक्रेट सुपर स्टार से रह-रहकर जुड़ना होता है। शायद एकाध बार और देखने जाऊँ। दो कूड़ा फिल्में देखने से ज्यादा बेहतर एक संवेदनशील फिल्म दो बार देख लो, बहरहाल। इस फिल्म में इन्सिया का चरित्र अत्यन्त गहरा है। वह अपनी छोटी उम्र में भी उस उम्र के किसी और बच्चे से ज्यादा गम्भीर, समझदार, सपनों के अर्थ को समझने वाली और सपनों के आगे आने वाली विडम्बना से जूझने वाली बहादुर बच्ची है। मुझे तारे जमी पर का ईशान अवस्थी भी तमाम कमजोरियों के बावजूद बहुत बहादुर लगता है जब वह एक दिन स्कूल से निकलकर दिन भर शहर में घूमता है। मासूम और कोमल मन कई बार अपनी ही क्षमताओं का अतिरेक करता है तो उसे जोखिम का अन्दाजा नहीं होता।

इन्सिया की शिक्षिका को उसके सपनों से कोई सरोकार नहीं है। वो उसी ढर्रे या भेड़चाल का एक औजार है जो हमारी शुरू से लदी-फँदी शिक्षा प्रणाली का पोषक है भले ही वो इस समय पूरी तरह कुपोषण का शिकार हो गयी हो। स्कूल में पढ़ाने से अधिक घर में ट्यूशन एक अलग तरह का रोमांस है अपने प्रोफेशन के साथ। ऐसी ही शिक्षिका इन्सिया से रिपोर्ट कार्ड में उसके पिता के हस्ताक्षर लेकर आने का हठ करती है। खराब रिजल्ट पर पिता का हस्ताक्षर इन्सिया को परेशान करता है, उसका परिणाम और ज्यादा जब उसके पिता निर्मम होकर बरताव करते हैं।

यहाँ पर अपने बचपन का अनुभव लिखने से ठहर नहीं पा रहा हूँ। स्कूल में छठवीं, सातवीं के छमाही इम्तिहानों में हिन्दी छोड़ सभी विषयों में फेल हो जाने का मेरा इतिहास रहा है। उस रिजल्ट पर पिता के साइन हमारे लिए भी अनिवार्य था लेकिन अपने पिता पर गर्व करता हूँ कि मामूली विचलन के बाद वे बिना किसी कठोरता के अपने हस्ताक्षर कार्ड पर कर दिया करते थे। यह मेरे लिए ही ग्लानि का विषय था कि मैं उनकी अपेक्षाओं पर खरा नहीं उतर पाता था। आज भी उनके हृदय को नापना मुझ जैसों के बस का नहीं, मुझे नहीं लगता कि इतना बड़ा इंची टेप कोई बना होगा।

सीक्रेट सुपर स्टार की इन्सिया का स्कूल से कूद-फाँदकर मुम्बई तक चले जाना, एक सपनीले पंछी की ऊँची उड़ान है। उड़ता हुआ हवाई जहाज देखकर हमें अपनी बगल से पंख खुलने का एहसास कराता है। यहाँ भी ऐसा ही है। आन्तरिक दृढ़ता और भीतर की सजगता, छोटे बच्चों को भी मजबूत बनाती है। यह अलग बात है कि घर से बाहर निकलकर इन्सिया का मार्ग उतना कंटकभरा, भयावह या निर्मम नहीं है लेकिन यदि ऐसा होता तो भी वह इन परिस्थितियों से भी पार पा सकती थी।

इन्सिया जैसी बेटियों के लिए यह फिल्म है, सीक्रेट सुपर स्टार। यह हमारे समय की फिल्म है। असुरों और पिशाचों की उम्र बहुत थोड़ी होती है। शक्ति ही उनके मर्दन का कारण बनती हैं। कठिन समय को सूझ और हौसले से ही जीता जा सकता है। यह फिल्म ऐसे बहुत से समानान्तर, सकारात्मक सन्देश देती है..........


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