सोमवार, 17 अप्रैल 2017

अफवाहों की आँच पर सितारों की ज़िन्दगी

जल्‍दबाजी और श्रेय का शगल


सितारों की जिन्दगी अफवाहों की आँच पर तप रही है। अपने जमाने के सुपर खलनायक और बाद में हीरो बनकर भी राजेश खन्ना, अमिताभ बच्चन और धर्मेन्द्र के समकालीन अपनी जगह बनाये रखने वाले विनोद खन्ना के नहीं रहने की खबर प्रायः इधर से उधर तक फैलायी जा रही है। सचमुच का वायरल बुखार जितना दुखदायी, हानिकारक और घबराहट-कोफ्त से भरा नहीं है उससे ज्यादा वायरल होती खबरों ने वातावरण को नकारा लोगों का ऐसा शगल बना दिया है कि लोग दिनभर इसी में दिमाग खब्त किया करते हैं। पिछले दो-तीन सालों में ये सबसे ज्यादा हुआ है। इसका सबसे ज्यादा, शायद दो-तीन बार शिकार हुए बोनी कपूर जिनके बारे में दुर्घटनाग्रस्त होने की खबरें खूब सनसनी फैलाती रहीं। बाद में उनका खण्डन आता रहा। शुक्र है कि सही सलामत हैं और अपने काम से लगे हैं। दो महीने पहले अमिताभ बच्चन की वह फोटो जब उनके पेट में संक्रमण हुआ था, स्ट्रेचर पर ले जाते हुए मंकी कैप पहने, उस फोटो के साथ अप्रिय समाचार सारे आधुनिक माध्यमों से फैलना शुरू हो गया। लोग तमाम जगह पड़ताल करते नजर आये। तीसरा शिकार विनोद खन्ना हैं जिनकी एक रुग्ण अवस्था की तस्वीर के प्रकाश में आते ही लोगों ने अपना-अपना आकलन शुरू कर दिया। यह हद ही है कि एक चैनल जिसने शायद प्रत्याशा में कार्यक्रम बना ही रखा होगा, रोकने का लोभसंवरण न कर पाया और रविवार सुबह उसे प्रसारित करके ही राहत की साँस ली। आखिर उसे सबसे आगे जो रहना है.........।

फिल्मी दुनिया और अफवाहें एक दूसरे से बहुत जुड़ा करती हैं। आमजन को सितारों से जुड़ी खबरों को जानने में रस आता है। अंग्रेजी फिल्म पत्रकारिता ने इसकी शुरूआत बहुत पहले कर दी थी जब कलाकारों का फिल्मों में काम करना, फिल्म की प्रगति, घटनाएँ और फिल्म का पूरा होकर प्रदर्शित होना और इन सबसे पाठकों को अवगत कराना पहले उद्देश्य रहा करता था। बाद में पत्रिकाओं और उनके रिपोर्टरों, कॉलमिस्टों को लगा कि ये सूचनाएँ साधारण और रसहीन हैं तो उसके बाद सितारों के स्वभाव, उनकी विनम्रता, उनकी उग्रता, उनका दिलफेंक होना, रोमांस के किस्से, होटलों से लेकर बेडरूम तक अंग्रेजी फिल्म पत्रकारिता ने साहस-दुस्साहस दिखाया। हालाँकि उसके परिणामों का सामना भी करना पड़ा समय-समय पर पत्रकारों, रिपोर्टरों को जब उनको अपमान, बेइज्जती और हिंसा का सामना करना पड़ा लेकिन एक सिलसिला चल पड़ा तो फिर यह थमा नहीं। हिन्दी फिल्म पत्रकारिता में इसका प्रवेश सावधान और सहमे ढंग से हुआ क्योंकि हिन्दी फिल्म पत्रकार उतना खुलकर लिख नहीं सकते थे और न ही उनके अखबार या पत्रिका के घराने सालों सितारों से मुकदमा लड़कर उनके साथ सम्बन्ध ही बिगाड़ सकते थे। यह धारा लेकिन बन्द न हुई।

सिनेमा सौ साल पार कर गया, सिनेमा की पत्रकारिता भी उसी का अनुसरण कर रही है। पत्रकारिता का स्वरूप जो बिगड़ना शुरू हुआ था, वह और बिगड़ता चला गया है। आज यद्यपि स्थिति यह है कि हिन्दी में सिनेमा की पत्रिकाएँ बची ही नहीं हैं। जो बड़ी, अच्छी और महत्वपूर्ण पत्रिकाएँ हुआ करती थीं वे कभी की बन्द हो चुकी हैं। देश के अखबारों में सिनेमा को रोज ही एक-दो पन्नों में ग्लैमर के रूप में प्रकाशित किया जा रहा है जिनमें एक जैसे स्रोत होने के कारण एक जैसी सूचनाएँ हैं। अंग्रेजी फिल्म पत्रिकाओं के पाठक और समाज दोनों ही बहुत सीमित है लिहाजा वहाँ का घटनाक्रम वहीं तक सिमटकर रह गया है। 

फेसबुक, ट्विटर और वाट्सअप ऐसे ही माध्यम हो गये हैं जिनमें ऐसी खबरों का सम्प्रेषण एक कान से दूसरे कान में कह देने और फिर दूसरे कान से तीसरे कान में संक्रमित कर देना ज्यादा आसान हो गया है। चिढ़ इस बात की है कि कल तक रोमांस, रिश्तों, लड़ाई-झगड़े की कानाफूसियाँ अब सीधे-सीधे इधर लक्षित हो गयी हैं कि समाज और वातावरण को भावनात्मक रूप से उसके प्रिय कलाकार के सम्बन्ध में जीवन से जुड़ी अप्रिय खबर फैलाकर व्यावधानित कर दो। एक बार देर रात मैं फेसबुक पर ऑनलाइन था, तब एक चर्चित कवि की पोस्ट में गम्भीर अस्वस्थ दारा सिंह को श्रद्धांजलि दे दी गयी। उनको तुरन्त कहा गया कि जीवित हैं तो उन्होंने हटा ली। बाद में दारा सिंह दो दिन बाद नहीं रहे थे। विनोद खन्ना को लेकर भी ऐसी ही अप्रिय सूचनाएँ टिप्पणी लेखक के पास चार दिन की अवधि में दो बार आयीं जिनमें अन्तिम यात्रा के दो चित्र भी शामिल थे जिसमें एक में अमिताभ बच्चन और दूसरे में रणधीर कपूर शामिल दिखायी दे रहे थे। इधर एक दिन पहले हद यह हो गयी कि मेघालय में विनोद खन्ना को सत्तासीन पार्टी के लोगों ने श्रद्धांजलि भी दे दी। इस बात पर आश्चर्य ही होता है कि क्या हम अपना विवेक पूरी तरह खो बैठे हैं? दौड़कर आगे निकल जाने, श्रेय बटोरने और खुद को महिमा मण्डित करने की ऐसी अफरातफरी में खुद की संवेदना, चरित्र और गरिमा को नहीं मारे डाल रहे हैं? ये हम कर क्या रहे हैं?







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