बुधवार, 28 जून 2017

हिन्दी सिनेमा और हिन्दी मीडियम

विडम्बनाएॅं एक सी हैं....




सिनेमा की एकरस धारा में कई बार अचानक भूचाल सा आता है जब अपनी विषय वस्तु और लीक से अलग हटकर बनी फिल्म को चर्चा मिलना शुरू होती है तो वह फिर दर्शकों की निगाह पर चढ़ती है और सफल होने लगती है। ऐसी फिल्म की सफलता के लिए बहुत बड़ा या चमकदार सितारा होना आवश्यक नहीं है और न ही ऐसी किसी हीरोइन की आवश्यकता है जो आज की आधुनिकता से दो कदम आगे आधुनिक हो और सुर्खियों में बनी रहने के लिए तरह-तरह के हथकण्डे इस्तेमाल करती हो। सार्थकता और श्रेष्ठता के मापदण्ड पर खरी उतरी फिल्में जब सचमुच हम देखने का समय निकालते हैं और एक से मानस के दर्शकों के बीच उसको सुरुचि और आनंद के साथ देखते हैं तब हमें वह चर्चित फिल्म स्वतः यह प्रमाणित करती हुई आगे बढ़ती है कि उसकी खूबी या विशेषता क्या है, क्यों उसको उसकी साधारणतया के बावजूद पसन्द किया जा रहा है, देखा जा रहा है।

ताजा उदाहरण हिन्दी मीडियम फिल्म का है जिसको एक के बाद एक राज्य करमुक्त करते चले जा रहे हैं। इस फिल्म को साकेत चैधरी ने निर्देशित किया है। यों तो कुछ माह पहले इस फिल्म के प्रोमोज़ ने ही प्रभावित किया था और लग रहा था कि यह भेड़चाल से अलग हटकर फिल्म होगी, दूसरा इस फिल्म में इरफान का काम करने की सहमति का अर्थ ही निकाला जाता है कि यह सितारा पटकथा पढ़ने और उसे सार्थक पाने पर किसी फिल्म में काम करने की स्वीकृति प्रदान करता है। चमकदार बैनर या बड़ा नामचीन निर्देशक ही उनकी प्राथमिकताओं में शामिल नहीं है, बहरहाल हिन्दी मीडियम के माध्यम से जिस तरह भारतीय शिक्षा और संस्कृति में अंग्रेजी की घुसपैठ और फिर उसका विस्तार लगभग चलन में शामिल हो चुका हो, यह फिल्म एक सधा हुआ कटाक्ष भर नहीं है बल्कि कई तरह से आपकी आँखें खोल देने के लिए पर्याप्त है। 

अंग्रेजी माध्यम की शिक्षा अब प्रत्येक अविभावक के सिर पर लटकी तलवार है। हिन्दी भाषा और व्यवहार की स्थिति यह है कि कुछ साल पहले जानकारी यह हुई थी कि उत्तरप्रदेश में एक सत्र में सबसे ज्यादा पूरक श्रेणी हिन्दी विषय में विद्यार्थियों को प्रदान की गयी थी। बच्चा बोलना सीखे उसके पहले उसके मुँह में अंग्रेजी के शब्द शहद और घुट्टी की तरह पिलाना शुरू कर दिया जाता है। ऐसे में बच्चा और उससे तैयार होने वाली पीढ़ी न तो हिन्दी को पहचान पाती है और न ही उसको जान पाती है। जब जान-पहचान ही न होगी तो उस भाषा में दक्ष या पारंगत होना कभी भी आसान न होगा।

यह तो ठीक है कि हम अपनी शिक्षा प्रणाली या पद्धति में हिन्दी की स्थिति को निरन्तर दयनीय बनाते चले गये हैं, महानगरों की भाषा की तरह सिनेमा की भाषा भी अंग्रेजी हो गयी है। यदि मैं सिनेमा के किसी भी गुणी या ज्ञानी से उसके तकनीकी, ऐतिहासिक या दृष्टिसम्मत ज्ञान का लाभ लेना चाहूँ, जानना, सुनना या समझना चाहूँ तो मैं उसमें विफल रहूँगा। विफल इसलिए भी रहूँगा कि वे अपना ज्ञान सारी जटिलताओं के साथ अं्रग्रेजी में ही देना चाहेंगे! ऐसे में मेरी सारी की सारी जिज्ञासा वंचित रह जायेगी। ऐसा ही हो रहा है। एक अच्छी फिल्म के जरिए यह चिन्ता तो सामने लाने की कोशिश की गयी कि हिन्दी माध्यम की पढ़ाई के लिए कोई सकारात्मक वातावरण ही नहीं बचा है और यदि हिन्दी की अस्मिता को बचाये रखना है तो उसके शिक्षा केन्द्रों को देखा जाये, भाषा को धूमिल होने से बचाया जाये।

अब हिन्दी मीडियम फिल्म हमारी मातृभाषा के लिए सशक्त रचनात्मक पैरवी मानी जा सकती है लेकिन इसी के साथ-साथ यह प्रश्न भी खड़ा होता है कि हिन्दी सिनेमा की स्वयं की भाषा का क्या होता चला जा रहा है? देखने में तो यही आता है कि पूरा का पूरा कारोबार ही अंग्रेजी आधारित है। कलाकार केवल डायलाॅग बोलने के लिए उसको हिन्दी में रट लिया करते हैं, शेष समय उनको हिन्दी आती ही नहीं, वे अंग्रेजी में ही मुँह खोलते हैं और जुबाँ से अंग्रेजी के शब्द ही उच्चारित किया करते हैं। भारत सरकार में सिनेमा की संस्थाएँ अंग्रेजी में व्यवहार करती हैं। उनके कार्यक्रम, कार्यशालाएँ, रसास्वाद पाठ्यक्रम, प्रशिक्षण पाठ्यक्रम एवं पद्धति में अंग्रेजी लगभग अपनी ठसक के साथ हावी है। हिन्दी सिनेमा की अपनी भाषा को समृद्ध कर सकने वालों की भाषा ही अंग्रेजी हो गयी है। 

सिनेमा के इतिहास से परे, उसको जाने बगैर केवल फौरी और साधारण जानकारियों के साथ सिनेमा पर संवाद होते देखता हूँ और तर्क-वितर्क यहाँ तक कि कुतर्क होते भी देखता हूँ तो लगता है कि आने वाले समय में हिन्दी सिनेमा में पात्र संवाद शत-प्रतिशत अंग्रेजी में बोलेंगे। अभी सिनेमा की भाषा गेहूँ और चने का मिश्रण की तरह है, धीरे से भारतीयता और उसकी अस्मिता कही जाने वाली भाषा का अन्न हट जायेगा और कब आपके सामने एक फास्टफूट शैली की भाषा प्रकट होकर व्यवहार और बरताव का हिस्सा बन जायेगी, आपको पता भी नहीं चलेगा। हिन्दी मीडियम और हिन्दी सिनेमा की विडम्बनाएँ वास्तव में एक सी ही हैं।





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