पिता से फलीभूत संगीतज्ञ बेटियों की परम्परा
प्रतिबद्ध और समर्पित कलाकारों से संवाद लम्बे संयोगों के बाद सुयोग से सम्भव हो पाता है। बनारस घराने की यशस्वी गायिका स्वर्गीय गिरिजा देवी की समृद्ध शिष्य परम्परा में सुनन्दा शर्मा का नाम प्रमुखता से लिया जाता है। वे नाम अनुरूप शख्सियत हैं, शख्सियत अनुरूप कलाकार हैं। अपने बारे में उन्होंने बातचीत बहुत कम ही की है। एक बार उनको बताया था कि उनकी गुरु मॉं से भी मुझे एक बहुत लम्बा संवाद करने का अवसर मिला है जो एक प्रतिष्ठित पत्रिका के अनेक पृष्ठों में प्रकाशित भी हुआ था। उस परम्परा और उनकी सृजन तथा शिक्षण प्रक्रिया को लेकर एक संवाद आपसे भी आवश्यक लगता है।
तीन-चार वर्षों की इस अपील आग्रह के पूरे होने का संयोग फिर एक दिन इस तरह आया कि यह बातचीत भोपाल से दिल्ली लगभग ट्रेन जाने के जरा पहले तक हुई। इस बातचीत में सुनन्दा जी ने अपने परिवेश और संयोगों तथा सुयोगों से भरी अपनी यात्रा पर सुनने में बहुत दिलचस्प और प्रेरणाभरी अनुभूतियॉं साझा की हैं। सुनन्दा जी आज तक अपने दिवंगत पिता को पल भर नहीं भूलतीं जो एक ऊर्जा के रूप में अपनी इस बेटी के साथ कदम-कदम चले, चलते रहे।
यहॉं एक संयोग का जिक्र करूँगा, जब मैंने गिरिजा देवी जी से बातचीत की थी तब उन्होंने भी बतलाया था कि किस तरह उनके पिता ने उनको गायन सहित कितनी दक्षताओं में प्रोत्साहित किया और हर समय साथ रहे। वैसे ही पिता सुनन्दा शर्मा के भी जिन्होंने अपनी प्रतिभासम्पन्न बेटी को उस पहचान और सम्मान की जगह पर देखा जैसी वे ख्वाहिश रखते रहे होंगे।
यह बातचीत सुनन्दा जी के आदरणीय पिता के प्रति असीम श्रद्धा के साथ यहॉं प्रस्तुत कर रहा हूँ.......
#sunandasharma #banarasgharana
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