मंगलवार, 7 अप्रैल 2020

जिम्‍मेदारियों की उपेक्षा करती पीढ़ी का सच

लघु फिल्‍म/ अधीन 


 
यश वर्मा निर्देशित शॉर्ट फिल्म अधीन देखी। लगभग बीस-पच्चीस मिनट अवधि की। एक पिता है जिसने अपने बेटे-बेटियों को बुलाया है मिलने। एक ही शहर में रहते हैं सब लेकिन महीनों से आपस में मिलना नहीं हो पाता। घर आते ही पिता से दोनों झुंझलाकर झगड़ने लगते हैं कि आप तो ठीक दिख रहे हो फिर हमें क्यों परेशान किया। दोनों ही अपनी व्यस्तताऍं। पिता बतलाता है कि वह अपना मकान बेच रहा है। बीमार पत्नी की सेवा करते हुए अकेला थक चुका है। वह कहीं और रहने लगेगा। दोनों में से कोई एक मॉं को रख ले। बेटे-बेटी को साँप सूंघ जाता है। बिस्तर पर ही बीमारी से निढाल मॉं के सभी काम कैसे कौन करेगा?

एक बार फिर आपस में बहस। अब पिता बतलाता है कि उसने अपनी पत्नी को दवा में ऐसा पदार्थ दे दिया है कि आठ घण्टे बाद वह नहीं रहेगी। बेटे-बेटी में अफरा-तफरी। फिल्म का अन्त यह है कि एकाकी पिता दालान में झाडू लगा रहा है अकेला।

फिल्म का अन्त संकेतों में है। बदलती जीवनशैली और महानगरीय सभ्यता में सम्बन्धों और दायित्वों की निराशाजनक स्थिति को बयॉं करती है फिल्म। पिता की भूमिका में संजय मिश्रा हैं। एक कुशल काबिल अभिनेता और इस समय खासे लोकप्रिय भी। वे लगभग फिल्म में दर्शायी जाने वाली स्थितियों को बयान की तरह पेश करते हैं। बेटा नीरज प्रदीप पुरोहित और बेटी अनुप्रिया गाेयनका के आपसी संवाद और पिता से बहसों में संजय मिश्रा लगभग उनको एक तारतम्य में रखते हैं। मॉं भीतर कमरे में है और बाहर उसकी तस्वीर। बड़ी अभिनेत्री सुहासिनी मुले का निर्देशक ने इतने के लिए आरम्भ में धन्यवाद कर दिया है। अन्त में आते आते फिर बिखर जाती है।

लघु फिल्मों के पिछले कुछ समय से निरन्तर निर्माण और यूट्यूब पर प्रदर्शन ने काबिल निर्देशकों और कलाकारों को आकृष्ट किया है। यहॉं पन्द्रह-बीस मिनट से लेकर आधे घण्टे तक की कई बार अच्छी और दिलचस्प फिल्में मिल जाती हैं।
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